Ruth Kar Tum Mujhse Kahan Jaogi – मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’ राजसमंद द्वारा रचित कविता ‘रूठ कर तुम मुझसे कहां जाओगी’
‘रूठ कर तुम मुझसे कहां जाओगी’ Ruth Kar Tum Mujhse Kahan Jaogi
रूठ कर तुम मुझसे कहां जाओगी|
लौट कर फिर तुम तो यहां आओगी|
रूठ कर तुम मुझसे कहा जाओगी|
मैं तो भंवरे सा बस गुनगुनाता रहा|
गोल – गोल चक्कर मैं लगाता रहा|
शरद पूनम का तुम चांद हो चली|
चांदनी में बस मैं नहाता रहा|
मैंरे ख्वाबों में तेरी ही सूरत बसी|
ख्वाबों से निकल कर कहां जाओगी|
रूठ कर तुम मुझसे कहां जाओगी|1|
मदभरी पवन सा मैं तो बहता रहा|
रेशमी जुल्फों को सहलाता रहा|
तुमने कितना ही मुझको धकेला मगर|
वल्लरी सा तुझे लिपटाता रहा|
तेरी इच्छा हो जहां तू चली जा मगर|
मेरे दिल से निकल कर कहां जाओगी|
रूठ कर तुम मुझसे कहा जाओगी|2|
मन को नभ का आंचल बनाता रहा|
यादों के सितारें सजाता रहा|
तेरी यादों में मैं तो इतना खोया|
मन ही मन में मैं मुस्कराता रहा|
मेरे चेहरे की मुस्कान बन के बसी|
अधरों से निकल कर कहां जाओगी|
रूठ कर तुम मुझसे कहां जाओगी|3|
मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’
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