Nandanandan Janmashtami Poem In Hindi- प्रभु श्री कृष्ण जन्मोत्सव (जन्माष्टमी) की आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनाएं । आज के लेख में हम आपके लिए जन्माष्टमी पर कृष्णकांत जी द्वारा रचित कविता प्रस्तुत कर रहे है।
नन्दनन्दन
हे नन्दनन्दन,देवकीसुत
कृपा इतनी कीजिए।
जगपथ है शूलों से भरा
अब सुमनवृष्टि कीजिए।
पाषाणमय मग आज है
मृण्मय इसे कर दीजिए।
तमचर असुर हैं छद्मवेशी
प्रज्वलन कर दीजिए।
धर अधर पर वेणु सरस,
मृदु तान रव कर दीजिए
जग के सकल संताप को
क्षणमात्र में हर लीजिए
धर रूप भीषण,हाथ में
धारण सुदर्शन कीजिए
दुष्टों से पीड़ित है धरा
पीड़ा हरण कर लीजिए
गोपाल बन प्रगटे यहाँ
अब नाम सार्थक कीजिए
गोवंश कष्टों में पड़ा है
अब शरण में लीजिए
सारे भुवन में व्याप्त हो,
जन जन को दर्शन दीजिए
कण-कण में तेरा अंश है
अमृत का वर्षण कीजिए
कृष्णकांत
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Nandanandan Janmashtami Poem In Hindi
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