Sharad Purnima Poem Song Lyrics In Hindi | शरद पूर्णिमा पर कविता
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आज शरद पूर्णिमा
शरद का चाँद
आज अमृत बरसेगा ॥
प्रासादों के दीर्घ अजिर में
महलों के विस्तीर्ण छतों पर ।
भर-भर खीर रखे जायेंगे
रजत कटोरे रात-रात भर ॥
जिन में चाँद
अमृत घोलेगा
राज कुँवर फिर उसे छकेगा ॥
पर उनका क्या होगा, जिनके
थाली में रोटी के लाले ।
खीर कहाँ से वो लाएंगे
जिन को मिलते नहीं निवाले ॥
पूर्ण चन्द्र फिर पीड़ा देगा
फिर उन का
ललुआ तरसेगा ॥
चन्दा तो सब का है, सब पर
शीतलता, चाँदनी लुटाता ।
काश कि, चन्दा सीधे सब की
जिह्वा पर अमृत टपकाता ॥
ऐसा हो तो शरद पूर्णिमा
सार्थक; सब का
मन हरषेगा ॥
-अरुण मिश्र
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Sharad Purnima Poem In Hindi | शरद पूर्णिमा पर कविता
ख़ामोशी तोड़ो
सजधज के बाहर निकलो
उसी नुक्कड़ पर मिलो
जहाँ कभी बोऐ थे हमने
शरद पूर्णिमा के दिन
आँखों से रिश्ते —–
और हाँ !
बांधकर जरूर लाना
अपने दुपट्टे में
वही पुराने दिन
दोपहर की महुआ वाली छांव
रातों के कुंवारे रतजगे
आंखों में तैरते सपने
जिन्हें पकड़ने
डूबते उतराते थे अपन दोनों —–
मैं भी बाँध लाऊंगा
तुम्हारे दिये हुये रुमाल में
एक दूसरे को दिये हुए वचन
कोचिंग की कच्ची कॉपी का
वह पन्ना
जिसमें
पहली बार लगायी
लिपिस्टिक लगे होंठों के निशान
आज भी
पवित्र और सुगंधित है—–
क्योंकि अब भी तुम
मेरे लिए शरद का चाँद हो——
-ज्योति खरे
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