Muharram Shayari In Hindi – मुहर्रम का त्योहार इमाम हुसैन और उनके फॉलोअर्स की शहादत की याद में मनाया जाता है। इमाम हुसैन अल्लाह के रसूल (मैसेंजर) पैगंबर मोहम्मद के नाती थे। यह हिजरी संवत का प्रथम महीना है। मुहर्रम एक महीना है, जिसमें शिया मुस्लिम दस दिन इमाम हुसैन का शोक मनाते हैं। यह वह महिना है जब पैगंबर मुहम्मद के नवासे इमाम हुसैन अपने परिवार और 72 साथियों के साथ शहीद हो गए थे, उनकी शहादत की याद में मुहर्रम मनाया जाता हैं।
मुहर्रम कोई त्योहार नहीं बल्कि मातम का दिन है। मुहर्रम एक ऐसा महिना है, जिसे मुस्लिम समाज के लोग इमाम हुसैन की शहादत के गम में मनाते है। मुहर्रम के दिन इमाम हुसैन और उसके भाई हसन का ताजिया निकाल कर शौक मनाया जाता है, ये दिन मुहर्रम महीने का 10वाँ दिन होता है।
मुहर्रम शायरी इन हिंदी – Muharram Shayari in Hindi – यहाँ पर हम मुहर्रम पर 50+ शायरियां दे रहे है। जिन्हे आप अपने Friends & Relatives से WhatsApp, Facebook & Instagram पर शेयर कर सकते हैं।
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फिर आज हक़ के लिए जान फिदा करे कोई
वफ़ा भी झूम उठे यूँ वफ़ा करे कोई
नमाज़ 1400 सालों से इंतज़ार में है
हुसैन की तरह मुझे अदा करे कोई
Muharram Shayari In Hindi
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एक दिन बड़े गुरुर से कहने लगी जमीन
है मेरे नसीब में परचम हुसैन का
फिर चाँद ने कहा मेरे सीने के दाग देख
होता है आसमान पर भी मातम हुसैन का
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यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का
कुछ देख के हुआ था ज़माना हुसैन का
सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद ले
महंगा पड़ा यज़ीद को सौदा हुसैन का
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Imam Hussain Shayari
दश्त-ए-बाला को अर्श का जीना बना दिया
जंगल को मुहम्मद का मदीना बना दिया
हर जर्रे को नज़फ का नगीना बना दिया
हुसैन तुमने मरने को जीना बना दिया
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पानी का तलब हो तो एक काम किया कर
कर्बला के नाम पर एक जाम पिया कर
दी मुझको हुसैन इब्न अली ने ये नसीहत
जालिम हो मुकाबिल तो मेरा नाम लिया कर
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वो जिसने अपने नाना का वादा वफा कर दिया
घर का घर सुपुर्द-ए-खुदा कर दिया
नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम
उस हुसैन इब्न अली को लाखों सलाम
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Karbala Shayari
कर्बला को कर्बला के शहंशाह पर नाज़ है
उस नवासे पर मुहम्मद को नाज़ है
यूँ तो लाखों सिर झुके सज़दे में लेकिन
हुसैन ने वो सज़दा किया जिस पर खुदा को नाज़ है
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कर्बला की जमीं पर खून बहा
कत्लेआम का मंज़र सजा
दर्द और दुखों से भरा था सारा जहाँ
लेकिन फौलादी हौसले को शहीद का नाम मिला
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ऐसी नमाज़ कौन पढ़ेगा जहाँ
सज़दा किया तो सर ना उठाया हुसैन ने
सब कुछ खुदा की राह में कुर्बान कर दिया
असगर सा फूल भी ना बचाया हुसैन ने
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अपनी तक़दीर जगाते है तेरे मातम से
खून की राह बिछाते हैं तेरे मातम से
अपने इज़हार-ए-अक़ीदत का सिलसिला ये है
हम नया साल मनाते है तेरे मातम से
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हुसैन तेरी अता का चश्मा दिलों के दामन भिगो रहा है
ये आसमान में उदास बादल तेरी मोहब्बत में रो रहा है
सबा भी जो गुजरे कर्बला से तो उसे कहता है अर्थ वाला
तू धीरे गूजर यहाँ मेरा हुसैन सो रहा है
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ना जाने क्यों मेरी आँखों में आ गए आँसू
सिखा रहा था मैं बच्चे को कर्बला लिखना
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खून से चराग-ए-दीन जलाया हुसैन ने
रस्म-ए-वफ़ा को खूब निभाया हुसैन ने
खुद को तो एक बूँद न मिल सका लेकिन
करबला को खून पिलाया हुसैन ने
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आँखों को कोई ख्वाब तो दिखायी दे
ताबीर में इमाम का जलवा तो दिखायी दे
ए इब्न-ऐ-मुर्तजा सूरज भी एक छोटा सा जरा दिखायी दे
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क्या हक़ अदा करेगा ज़माना हुसैन का
अब तक ज़मीन पे क़र्ज़ है सजदा हुसैन का
झोली फैला कर मांग लो मोमिनो
हर दुआ कबूल करेगा दिल हुसैन का
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सिर गैर के आगे ना झुकाने वाला
और नेजे पे भी कुरान सुनाने वाला
इस्लाम से क्या पूछते हो कौन हुसैन
हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला
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क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने
सजदे में जा कर सिर कटाया हुसैन ने
नेजे पे सिर था और ज़ुबान पे आयतें
कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने।
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गुरूर टूट गया कोई मर्तबा ना मिला
सितम के बाद भी कुछ हासिल जफा ना मिला
सिर-ऐ-हुसैन मिला है यजीद को लेकिन
शिकस्त यह है की फिर भी झुका हुआ ना मिला
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जन्नत की आरजू में कहा जा रहे है लोग
जन्नत तो कर्बला में खरीदी हुसैन ने
दुनिया-ओ-आखरत में रहना हो चैन सूकून से
तो जीना अली से सीखे और मरना हुसैन से
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न हिला पाया वो रब की मैहर को
भले जीत गया वो कायर जंग
पर जो मौला के दर पर बैखोफ शहीद हुआ
वही था असली और सच्चा पैगम्बर
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करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने
ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने
लहू जो बह गया कर्बला में
उसके मकसद को समझो तो कोई बात बने
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कर्बला की शहादत इस्लाम बना गयी
खून तो बहा था लेकिन कुर्बानी हौसलों की उड़ान दिखा गयी
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कर्बला की कहानी में कत्लेआम था लेकिन हौसलों के आगे हर कोई गुलाम था
खुदा के बन्दे ने शहीद की कुर्बानी दी इसलिए उसका नाम पैगाम बना
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