Kanwar Yatra Me Nahi Kare Ye Kaam | सावन भगवान शिव की भक्ति का महीना है। इस महीने में विभिन्न माध्यमों से भगवान शंकर को प्रसन्न किया जाता है। सावन के महीने में भगवान शंकर के जलाभिषेक का भी विशेष महत्व है। जलाभिषेक से शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं।
भगवान शिव की कृपा पाने के लिए कावड़ यात्रा भी एक श्रेष्ठ माध्यम है। कावड़ यात्रा का एक महत्व यह भी है कि यह हमारे व्यक्तित्व के विकास में सहायक होती है। लंबी कावड़ यात्रा से हमारे मन में संकल्प शक्ति और आत्मविश्वास जागता है। हम अपनी क्षमताओं को पहचान सकते हैं, अपनी शक्ति का अनुमान भी लगा सकते हैं।यही वजह है कि सावन में लाखों श्रद्धालु कावड़ में पवित्र जल लेकर एक स्थान से लेकर दूसरे स्थान जाकर शिवलिंगों का जलाभिषेक करते हैं। ऐसा माना जाता है कि जब सारे देवता सावन में शयन करते हैं तो भोलेनाथ का अपने भक्तों के प्रति वात्सल्य जागृत हो जाता है। कावड़ यात्रा से जुड़े कुछ नियम इस प्रकार हैं-
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1. कावड़ यात्रियों के लिए किसी भी प्रकार का नशा वर्जित रहता है।
2. इस दौरान तामसी भोजन यानी मांस, मदिरा आदि का सेवन भी नहीं किया जाता।
3. बिना स्नान किए कावड़ यात्री कावड़ को नहीं छू सकते ।
4. तेल, साबुन, कंघी करने व अन्य श्रृंगार सामग्री का उपयोग भी कावड़ यात्रा के दौरान नहीं किया जाता।
5. कावड़ यात्रियों के लिए चारपाई पर बैठना एवं किसी भी वाहन पर चढ़ना भी मना है।
6. चमड़े से बनी वस्तु का स्पर्श भी कावंड यात्रियों के लिए वर्जित है।
7. रास्ते में किसी वृक्ष या पौधे के नीचे कावड़ रखने की भी मनाही है।
8. कावड़ यात्रा में बोल बम एवं जय शिव-शंकर घोष का उच्चारण करते रहना चाहिए।
9. कावड़ को सिर के ऊपर से लेने तथा जहां कावड़ रखी हो उसके आगे बगैर कावड़ के नहीं जाने के नियम पालनीय होती हैं।
इस तरह कठिन नियमों का पालन कर कावड़ यात्री अपनी यात्रा पूरी करते हैं। इन नियमों का पालन करने से मन में संकल्प शक्ति का जन्म होता है।
क्या होती है कावड़?
कावड़ का मूल शब्द ”कावर” है जिसका सीधा अर्थ कंधे से है। शिव भक्त अपने कंधे पर पवित्र जल का कलश लेकर पैदल यात्रा करते हुए ईष्ट शिवलिंगों तक पहुंचते हैं। धार्मिक मान्यताओं के लिए पूरे विश्व में अलग पहचान रखने वाले भारतवर्ष में कावड़ यात्रा के दौरान भोले के भक्तों में अद्भुत आस्था, उत्साह और अगाध भक्ति के दर्शन होते हैं। कावड़ियों के सैलाब में रंग-बिरंगी कावड़े देखते ही बनती हैं।
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Arvind says
आजकल लोग तो गाड़ियों में घूमते-टहलते मजे से कांवड़ यात्रा करते हैं, जैसे पिकनिक पर निकले हों.जबकि असल में यह तो एक तपस्या है.