Similarities Between Ramayana and Mahabharata | कहा जाता है भगवान विष्णु ने पापों का विनाश करने के लिए हर युग में अवतार लिया था। रामायण और महाभारत जैसे महान ग्रंथों का संबंध भी अलग-अलग युगों से ही है। जहां रामायण की पृष्ठभूमि त्रेतायुग की है, वहीं महभारत का संबंध द्वापरयुग से है। युगों का अंतर होने के बावजूद दोनों ग्रंथों में कुछ बातें बहुत समान हैं, आइए जानते हैं रामायण और महाभारत की उन 9 घटनाओं के बारे में जो बहुत कुछ एक दूसरे से मिलती-जुलती हैं।
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रामायण और महाभारत में ये थी समानताएं | Similarities Between Ramayana and Mahabharata
सीता और द्रोपदी का जन्म – रामायण की नायिका सीता और महाभारत की नायिका द्रोपदी दोनों में ही एक बात सामान थी। दोनों ने ही अपनी मां की कोख से जन्म नहीं लिया था। द्रोपदी की उत्पत्ति अग्नि में से हुई थी और देवी सीता जमीन में से प्रकट हुई थी।
भगवान राम और पांडवों का जन्म – रामायण और महाभारत के नायकों के जन्म के पीछे छिपी कहानी भी एक दूसरे से मिलती है। भगवान राम और पांडव भाई दोनों का ही जन्म वरदान के फलस्वरूप हुआ था।
स्वयंवर – रामायण में जहां सीता स्वयंवर में श्रीराम ने उन्हें शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाकर अपनी पत्नी बनाया था, वहीं महाभारत में अपने बाण से मछली की आंख पर निशाना मारकर अर्जुन ने द्रौपदी स्वयंवर में विजय होकर विवाह किया था।
सीता और द्रौपदी हरण – महाभारत और रामायण में दोनों ही ग्रंथो की नायिका देवी सीता और द्रौपदी अपने पति के साथ वन में रहने जाती हैं। वन में रहते हुए रावण देवी सीता का हरण कर लेता है, वहीं जयद्रथ द्रौपदी का हरण करता है।
युद्ध का कारण – दोनों ही ग्रंथों में एक बड़ी समानता यह भी है कि रामायण और महाभारत दोनों में ही युद्ध स्त्री के सम्मान के लिए लड़ा गया था और दोनों युद्ध में बुराई का अंत और सत्य की विजय हुई।
वनवास – माता कैकेयी के लालच के कारण श्रीराम, लक्ष्मण और सीता को 14 वर्ष का वनवास झेलना पड़ा। वहीं अपने चचेरे भाइयों के साथ खेले गए जुए में मिली हार में सजा के तौर पर पांडवों को 12 वर्ष वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास झेलना पड़ा।
भगवान हनुमान का महत्व – रामायण की कहानी में भगवान हनुमान मौजूद थे, वहीं महाभारत की कहानी में भी भीम का जन्म पवन देव के आशीर्वाद से हुआ था। इसके अलावा पूरे महाभारत युद्ध में हनुमान अर्जुन के रथ पर विराजमान रहे।
भाइयों के साथ संबंध – रामायण में भगवान राम का अपने भाइयों के साथ संबंध अद्भुत था। माताएं भले ही अलग-अलग थीं लेकिन श्रीराम अपने सभी भाइयों से बहुत प्रेम करते थे। महाभारत की कहने में भी पांडवों को लेकर कुछ ऐसा ही था।
सत्य और शांति की स्थापना – युद्ध के बाद जब भगवान राम, लक्ष्मण और देवी सीता अयोध्या लौटे तब श्रीराम का राज्याभिषेक किया गया। महाभारत में भी युद्ध के बाद युधिष्ठिरको राजपाठ सौंपा गया। महाभारत में भी युद्ध के बाद युधिष्ठिर को राजपाठ सौंपा गया और दोनों के राज्य में सत्य और शांति की स्थापना हुई।
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