Tantrik Anushthan Sadhana – Yudh mein vijay ke liye : पौराणिक काल से ही तंत्र साधनाएं व अनुष्ठान भारतीय समाज का अभिन्न अंग रहे है। फिर चाहे ये साधनाएं आध्यात्मिक रूप से आगे बढ़ने के लिए हों, धन व सुख पाने के लिए हों या विवाद व युद्ध में विजय के लिए हों हर बार भारत के लोग किसी न किसी रूप में तंत्र को अपने जीवन में शामिल करते आए हैं। यही कारण है कि त्रैतायुग में युग में रावण का पुत्र हो या द्वापर में श्रीकृष्ण या कलियुग में भारत की सरकार सभी ने कभी ने कभी मुसीबतों को हराने के लिए भारत की इस प्राचीन विद्या का आसरा लिया है। आइए जानते हैं युद्ध में विजय के लिए किए जाने वाले तंत्र अनुष्ठान व उनसे जुड़े इतिहास के बारे में…
Must Read- तंत्र के अनुसार इन तरीकों से बढ़ा सकते है सम्मोहन शक्ति, कर सकते है किसी को भी सम्मोहित
1. निकुंभला का अनुष्ठान (Nikumbhila Devi Anushthan)-
रामायण में राम से युद्ध करने से पहले रावण के पुत्र मेघनाद ने निकुंभला देवी का ये अनुष्ठान किया था। जिसे हनुमान जी भंग कर दिया था, क्योंकि हनुमान जी को पता था कि यदि मेघनाद ने यह अनुष्ठान पूरा कर दिया तो फिर उसे कोई नहीं हरा पाएगा।
2. बगलामुखी का अनुष्ठान (Bagalamukhi Devi Anushthan)-
मध्यप्रदेश शाजापुर के नलखेड़ा में माँ बगलामुखी शक्तिपीठ है। इस मंदिर की स्थापना युधिष्टिर ने भगवान श्री कृष्ण के कहने पर की थी। उसके बाद सभी पांडवों ने यहां अनुष्ठान किया था ताकि उन्हें युद्ध में विजय मिले।
3. पीतांबरादेवी का अनुष्ठान (Pitambara Devi Anushthan)-
1962 में चीन ने भारत पर हमला कर दिया था। किसी ने पंडित जवाहरलाल नेहरू से पीतांबरा पीठ दतिया (मप्र) के स्वामी महाराज से मिलने को कहा। स्वामीजी ने यज्ञ करवाया। यज्ञ के नौंवे दिन जब पूर्णाहुति हो रही थी , तभी नेहरूजी को सन्देश मिला कि चीन ने युद्ध रोक दिया है। मंदिर में यह यज्ञशाला आज भी है।
4. महाकाली का अनुष्ठान (Mahakali Anushthan)-
माँ दुर्गा का संहार स्वरुप महाकाली को माना गया है। देवी काली को सुरक्षा, संकटनाश, विघ्ननिवारण, शत्रु संहारक के साथ ही सुरक्षा की देवी माना गया है। महाकाली के आराधक शत्रुओं पर विजय प्राप्ति के लिए भी उनकी आराधना करते हैं।
5. धूमावती की साधना (dhumavati sadhana)-
युद्ध में विजय के लिए माँ धूमावती की साधना भी की जाती है। मान्यता है बगलामुखी के साथ धूमावती की साधना से शत्रु को मिटाया जा सकता है, इसलिए पीताम्बरा पीठ दातिया में माँ बगलामुखी के साथ ही माँ धूमावती की भी स्थापना की गई है। यह एक मात्र स्थान है जहां दोनों देवियाँ साथ विराजित है।
ज्योतिष से सम्बंधित अन्य लेख यहाँ पढ़े – ज्योतिष शास्त्र से सम्बंधित लेख
Other Similar Posts-
- भारत के इन मंदिरों में होती है तांत्रिक क्रियाएं
- रावण संहिता के प्राचीन तांत्रिक उपाय, जो चमका सकते है आपकी किस्मत
- किन्नरों से जुड़े 20 रोचक तथ्य
- तंत्र से जुड़े अदभुत तथ्य : Amazing Facts About Tantra
- कापालिक साधू – इंसानी खोपड़ी में खाना खाते और पानी पीते हैं कापालिक, जानिए इनसे जुडी ख़ास बातें
Join the Discussion!