Prasidh Shayari on Dil Part- 9
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81
एक से लगते हैं सब ही कौन अपना, कौन गैर
बेनकाब आये कोई तो, हम दरे–दिल वा करें
खलील
(दरे–दिल = दिल का दरवाजा; वा = खोलना)
Ek se lagte hain sab hi kaun apna, kaun gair
Benqaab aaye koi to, ham dare-dil wa karein
Khaleel
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82
एक हमें आवारा कहना, कोई बड़ा इल्जाम नहीं
दुनिया वाले दिल वालों को और बहुत कुछ कहते हैं
हबीब जालिब
Ek hamein aawara kehana, koi bada ilzaam nahin
Duniya waale dil waalon ko aur bahut kuchh kehate hai
Habib Jalib
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83
ऐ मौत आ के हमको खामोश तो कर गई तू
मगर सदियों दिलों के अंदर, हम गूंजते रहेंगे
फिराक गोरखपुरी
Ae maut aa ke humko khamosh to kar gai tu
Magar sadiyon dilon ke andar, ham gunjte rahenge
Firaq Gorakhpuri
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84
कम न थी ये आलमे –हस्ती किसी सूरत मगर
वुसअतें दिल की बढ़ीं इतनी कि ज़िन्दां हो गयीं
{आलम = संसार, दुनिया; हस्ती = अस्तित्व,जिन्दगी; वुसअत = विशालता, लम्बाई-चौड़ाई (तमन्नाओं की); ज़िन्दां = कारागार, कैदखाना, कारागृह}
जिगर मुरादाबादी
Kam na thi ye aalam-e-hasti kisi surat magar
Wusatein dil ki badhi itani ki zinda ho gayi
Jigar Moradabadi
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85
कहते हैं उन्हीं को दुश्मने-दिल, है नाम उन्हीं का नासेह भी
वे लोग जो रह कर साहिल पर, तूफान की बातें करते हैं
(नासेह = नसीहत देने वाला, साहित्यिक परिभाषा में प्रेम-त्याग का उपदेश देने वाला; साहिल = किनारा, तट)
अज्ञात
Kehate hain unhin ko dushman-e-dil, hain naam unhin ka naaseh bhi
We log jo rah kar saahil par, toofan ki baatein karte hain
Unknown
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86
कहाँ दूर हट के जायें, हम दिल की सरजमीं से
दोनों जहां की सैरें, हासिल है सब यहीं से
(सरजमीं = पृथ्वी, जमीन, देश, मुल्क)
जिगर मुरादाबादी
Kahan door hat ke jaayein , ham dil ki sarzameen se
Dono jahan ki sairein haasil hai sab yahin se
Jigar Moradabadi
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87
क्या लाए हो खुलूसे-मुहब्बत, खुलूसे-दिल
इस जीन्स का तो कोई भी खरीदार नहीं है
(खुलूसे-मुहब्बत = सच्ची मुहब्बत; खुलूसे-दिल = सच्चा दिल)
अज्ञात
Kya laaye ho khuloose-muhbbat, khuloose-dil
Is jeens ka to koi bhi khareedaar nahin hai
Unknown
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88
खुलूसे-दिल से पुकारे जो एक बार मुझे
उस आदमी का है, अभी तक इन्तजार मुझे
(खुलूसे-दिल = सच्चा दिल,निष्कपट दिल)
Khuloose-dil se pukare jo ek baar mujhe
Au adami ka hai, abhi tak intzaar mujhe
Unknown
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89
जबान दिल की हकीकत का क्या बयां करती
किसी का हाल, किसी से कहा नहीं जाता
अज्ञात
Jabaan dil ki haqeeqat ka kya bayaan karti
Kisi ka haal kisi se kaha nahin jaata
Unknown
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90
जहाँ सिज्दे को मन आया वहीं पर लिया सिज्दा
न कोई संगे – दर अपना न कोई आस्तां अपना
अज्ञात
(संगे–दर = दहलीज, ड्योढ़ी, चौखट; आस्तां = चौखट)
Jahan sizde ko man aaya wahin par liya sizda
Na koi sange-dar apna na koi aastaan apna
Unknown
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प्रसिद्ध शायरों की ग़ज़लों का विशाल संग्रह
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manoj sharma says
गज़ब का कलेशन किया हैं चुनिन्दा शायरियो का सच आप ने बहुत ही सरन तरीके से प्रस्तुत किया हैं इस विशाल कलेक्शन को
धन्यवाद आप के इस ब्लॉग जो हमें एक से बढ़ कर एक बेहतरीन शायरियों को पढ़ने के लिए देता हैं